Murdo Ki Aahat Kabristan Ki Khani In HIndi

Murdo Ki Aahat Kahani Horror Story In Bhutiya Moral Real Horror Stories, Darawani Short Chudail Bhoot Ki Kahani Film, Short Moral Bhutiya Hunted Stories, New Koo Koo TV Horror Ghost Stories In Hindi, डायन, चुड़ैल, आत्मा की कहानियाँ


murdo ki aahat


 Hindi Horror Stories In Hindi – बहादुरगढ़ गांव का कब्रिस्तान बहुत ही डरावना था कोई भी इंसान रात में कब्रिस्तान के अंदर कदम तक रखने की हिम्मत नहीं करता था और इसका कारण था मुर्दो की आहट। जब भी कोई इस कब्रिस्तान से अकेला आता या जाता था तो मुर्दे इसका पीछा करते थे और वो जैसे ही उन मुर्दो की आहट सुनकर पीछे घूमता तो वही पर उसकी मौत हो जाती थी। बहादुरगढ़ गांव के लोग तो कई कहानिया सुनाते थे।

सुनीलमेरे मामा जी एक रात कब्रिस्तान के रास्ते से आ रहे थे वो डरे हुए थे इसीलिए हनुमान मंत्र पढ़ते हुए आ रहे थे उन्हें कब्रिस्तान के भूतो के बारे में पता था फिर उन्हें मुर्दो की आहट सुनाई देने लगी वो सीधे सामने देखकर चलने लगे और फिर उन्हें मामी की आवाज सुनाई दी और मामी की आवाज सुनते ही वो मुड़ गए और फिर मुर्दे घसीट कर उन्हें कब्र में लेकर आये।

मनीषा तुझे ये सब कैसे पता चला।

सुनील क्योकि अगली सुबह तक मेरे मामा जिन्दा थे उन्होंने अपने साथ हुआ सब कुछ मेरे पिता जी को बताया और पिता जी ने मुझे बताया।

मनीषा फिर तो वह कब्रिस्तान बहुत खतरनाक है।

शाम ऐसा कैसे हो सकता है सुना है बूढ़ा महेश उस कब्रिस्तान का सालो से रखवाली कर रहा है। मनीषा हां वो तो है अगर उस कब्रिस्तान में मुर्दे है तो महेश अभी तक जिन्दा कैसे है।

शाम चलो उसी से पूछते है।

तीनो गांव वाले सच जानने के लिए महेश के पास गए।

सुनील महेश काका मुझे आपसे कुछ जानना है।

महेश यही ना की क्या इस कब्रिस्तान में मुर्दे सच में जिंदे होते है या नहीं, तो सुनो होते है, रोज़ रात इस कब्रिस्तान के हर मुर्दे जिंदे होते है और हर जिन्दा इंसान का पीछा करते है।

मनीषा अगर ऐसा है तो तुम्हारा भी पीछा किया होगा तुम कैसे बच गए।

महेश इसके लिए तुम्हे मेरी कहानी सुननी होगी। शाम हां हां तो सुनाओ काका।

महेश आज से 35 साल पहले की बात है मैं और मेरा दोस्त (सुरेंदर) दोनों अनाथ थे और काम की तलाश में बहादुरगढ़ पहुंचे। यहाँ हम इस चर्च में फादर अन्थोनी से मिले और फादर से बोले फादर हम दोनों यहाँ काम की तलाश में भटक रहे है क्या आपके पास हमारे लिए कोई काम है

फादर काम तो है पर बहुत डेंजर है तुम दोनों की जान भी जा सकती है। सुरेंदर वैसे भी हम भूख से तड़प-तड़प कर मर जायेंगे चारो ओर सूखा छाया है कोई काम नहीं है। फादर ठीक है!

फादर अन्थोनी हमें कब्रिस्तान में ले गए और बोले ये बहुत ही पुराना कब्रिस्तान है यहाँ अंग्रेजो की कब्र है तुम्हे इस कब्रिस्तान की रखवाली करनी है

सुरेंदर भला इस कब्रिस्तान को रखवाली की क्या जरुरत है। फादर कब्रिस्तान को रखवाली की जरुरत नहीं है पर तुम्हे यहाँ आने से लोगो को रोकना होगा तुम्हे लोगो की रक्षा करनी होगी। महेश पर कैसे।

फादर इन मुर्दो से, ये मुर्दे रात के अँधेरे में ये सारे मुर्दे जिन्दा हो जाते है और जिन्दा इंसानो का पीछा करते है जो भी इनकी आवाज सुनकर पीछे मुड़ता है उसका अंत निश्चित है।

सुरेंदर फिर तो वो मुर्दे हमें भी मार डालेंगे हां अगर पीछे मुड़े तो इसीलिए तो कहा था की ये काम जोखिम से भरा है सोच लो तुम दोनों ये काम करना चाहते हो या नहीं।

हम दोनों के पास कोई और रास्ता नहीं था पेट की भूख शांत करना ज्यादा जरुरी था इसलिए हमने हां भर दी और उसी रात से हम कब्रिस्तान की रखवाली करने लगे। कुछ रात तक सब कुछ ठीक था एक रात हमें लगा की जैसे कोई हमारा पीछा कर रहा है।

महेश सुरेंदर जैसे हमारे पीछे कोई है लेकिन गलती से मुड़ना मत, चूप-चाप गेट तक चल।

हम लोग डरते हुए गेट तक आये और सुबह होने तक वही बैठे रहे और कई बार हमारे साथ ऐसा हुआ और हर बार हम गेट पर आकर बैठ जाते थे मुर्दे पता नहीं क्यों गेट तक नहीं आ पाते थे। कई साल बीत गए हम बहादुरगढ़ गांव में खुश थे सुरेंदर को एक लड़की गौरी से प्यार हो गया था वह छुप-छुप कर गौरी को देखा करता था।

एक बार जब हम कब्रिस्तान में रखवाली कर रहे थे तो फिर से मुर्दो ने हमारा पीछा सुरु किया हम हमेशा की तरह गेट की तरफ बढ़ चले हमें मुर्दो की आहट सुनाई दे रही थी लेकिन फिर भी हम चलते जा रहे थे। अचानक सुरेंदर को गौरी की आवाज सुनाई दी सुरेंदर.. सुरेंदर मुझे बचा लोसुरेंदर डर गया उसे ऐसा लगा की गौरी सच में खतरे में है दोस्त, पीछे मुड़ना मत ये मुर्दे हमारे साथ खेल रहे है।

सुरेंदर नहीं मेरी गौरीगौरी को बचाना होगा।

सुरेंदर पीछे मुड़ा और मुर्दो ने सुरेंदर को घसीट लिया। मैं अपने दोस्त को बचाना चाहता था पर क्या करता मुझे पता था की अगर मैं पीछे मुड़ा तो मेरा भी यही हश्र होगा मैं रोते-रोते गेट की ओर चल पड़ा और गेट पर पहुंच कर फुट-फुट कर रोने लगा। सूरज उगते ही मैं अंदर आया और मुझे बस सुरेंदर की लाश मिली।

गांव के लोग अरे डरपोक तू चाहता तो अपने दोस्त को बचा सकता था, कायर है तू कायर।

फादर महेश तुमने जो किया सही किया अगर तुम पीछे मुड़ते तो वो तुम्हे भी मार देते और फिर ये सब गांव वाले बोलते की तुम दोनों के दोनों बेवकूफ खुद अपनी मौत मरे।

बस वो दिन था उसके बाद मैं समझ गया की गांव के कब्रिस्तान के मुर्दे किसी की भी आवाज में बात कर सकते है उन्हें बस शिकार करना होता है मैं 35 साल से इस कब्रिस्तान से रखवाली कर रहा हूँ ताकि और आदमी इन मुर्दो का शिकार ना हो सके पर गांव वाले इसे मनगणत सोच कर आ ही जाते है।

कुछ गांव वाले इन मुर्दो का शिकार भी बने पर मेरी कोई सुनता कहा है तुम लोग मेरा बात हमेशा याद रखना पहले तो इस कब्रिस्तान के आस-पास से तो बिलकुल मत गुजरना और दूसरा अगर कभी वक्त आ पड़े तुम्हे यहाँ से गुजरना पड़े तो मुर्दो की आहट सुनकर पीछे मत मुड़ना। बूढ़ा महेश इतना कुछ बोलकर अपने काम पर निकल गया और यहाँ ये तीनो दोस्त बाते करने लगे।

मनीषा मुझे लग रहा है ये बूढ़ा महेश हमें कहानी सुना रहा है। शाम मुझे भी यही लग रहा है। मनीषा आज हम सच का सच और झूठ का झूठ पता लगाकर रहेंगे, आज हम तीनो कब्रिस्तान में आएंगे वो भी रात को।

रात के वक्त तीनो दोस्त कब्रिस्तान पहुंचे कब्रिस्तान में अलग ही शांति थी वो कुछ ही कदम चले थे की उन्हें ऐसा लगने लगा की कोई उनका पीछा कर रहा है।

शाम पीछे कोई है। मनीषा बूढ़ा महेश होगा हमे डरने की कोशिश कर रहा होगा। सुनील हां हां वही होगा।

तभी पीछे से आवाज आती है अरे तुम तीनो यहाँमहेश की आवाज सुनकर तीनो पीछे मुड़े और मुर्दो ने एक-एक करके उन्हें भी घसीट लिया कब्रों के अंदर सब मारे गए। काश ये तीनो बूढ़े महेश की बात सुन लेते।

Post a Comment

0 Comments