कुलधरा(Kuldhara) गाँव कि कहानी...




कुलधरा(Kuldhara) गाँव कि कहानी... 


वैसे तो हम सबने बहुत ही भूतों की कहानियाँ सुनी है। जिनमें बहुत सी कल्पनिक है, और कुछ असली। लेकिन आज हम एक ऐसी सच्ची कहानी बताने रहे है। जिसे सुनकर श्याद आपको यकीन ना हो, और आप कहे। क्या ऐसा भी हो सकता है? दुनिया में वैसे तो बहुत सी ऐसी जगह है। जो शापित है, और रहस्यमयी भी है। और आज भी रहस्यमयी और शापित है। आज हम बात करने वाले कुलधरा गांव की, जो भारतीय राज्य राजस्थान के सुन्दर से जैसलमेर ज़िले में स्थित है।

यह गांव पिछले कई सालों से वीरान पड़ा हैं। कुलधरा(Kuldhara) गाँव में रहने वाले हज़ारों लोग एक ही रात मे इस गांव को खाली करके पता नहीं कहाँ चले गए, और जाते जाते एक बहुत बुरा श्राप दे गए कि, यहाँ पर कभी भी कोई दूसरा गाँव नहीं बस पायेगा। तब से यह गाँव वीरान पड़ा हैं।

गांव के सभी लोगो के अचानक गायब हो जाने से, इस गांव के बारे में एक बहुत ही हैरान कर देने वाली कहानी अक्सर सुनने को मिलती रहती है। कहानी सुनने के बाद पता चलता है की इस गांव की जमीन में कई ऐसे राज़ दफ्न हैं। ऐसे राज़ जो कई वर्षों या कहें सदियों बाद आज भी अपने होने का एहसास महसूस कराते है। जिसके कारण आज भी सदियों बाद वो उसी तरह ताजा और अनसुलझे हैं।

इस गांव के राज़, रहस्य कुछ ऐसे हैं जिन्हें जितना सुलझाने की कोशिश होती है इस के राज़ उतने ही उलझते जाते हैं। राजस्थान के इस छोटे से गांव कुलधरा के भीतर के राज़ और रहस्य के बारे में सुनकर कोई कहता है कि कुलधरा की ज़मीन पर कई वर्षों से गांव वालो की भटकती आत्माओं का राज है। या फिर गांव वालो का श्राप। इतिहासकारों के अनुसार इस कुलधरा गाँव का निर्माण लगभग १३वीं शताब्दी में पालीवाल ब्राह्मणों ने किया था। पालीवाल के इस इलाके में उस समय ८४ गाँव थे। उनमें से एक कुलधरा गाँव भी था। कुलधरा गाँव में ६०० घर थे। तब यह गाँव बहुत ही सुन्दर हुआ करता था। कुलधरा गाँव के घर ईट और पत्थर से बने हुए थे, इन घरों की बनावट ऐसी थी की इन घरों में कभी भी गर्मी का अहसास नहीं होता था। जबकि बाहर का तापमान ४५ डिग्री से ४८ डिग्री तक रहता है।

गांव की सुंदरता - इस गांव में रहने वाले सभी लोगों को बहुत सी कलाएं आती थी, और साथ ही उन्हें और भी बहुत सी कलाओं का ज्ञान था, और इन्ही कलाओं के जरिये यहाँ के लोगों ने अपने गांव का विकास किया। अपनी इस कलाओं से इस गांव के लोगो ने बहुत से सुन्दर घर और तालाबों का निर्माण किया था। इस गांव के लोगों को इनके व्यापार कौशल और कृषि के लिए जाने जाते थे। सभी गांव बहुत ही ख़ुशी में रह रहे थे। फिर एक दिन .....

गाँव का मिनीस्टर सलीम सिंह, एक दिन गाँव में घूमने निकला। सभी गाँव की खुशहाली देखकर सलीम सिंह बहुत खुश हुआ। सभी गाँव में घूमने के बाद, सलीम सिंह वापस अपने घर जाने लगा। सलीम सिंह वापस अपने घर जा ही रहा था, की तभी उनकी नजर एक लड़की पर पड़ी। जो बहुत ही खूबसूरत थी। उस लड़की की खूबसूरती देखकर, सलीम का मन उस को पाने का करने लगा। सलीम ने उस लड़की को विवाह का प्रस्ताव दिया। लेकिन गाँव की उस लड़की ने सलीम सिंह के विवाह के प्रस्ताव को मना कर दिया।







सभी गाँव वालों गायब होना


सलीम सिंह, उस लड़की के इंकार को बर्दाश नहीं कर सका। इसलिए उसने सभी गाँव के लोगों के सामने ये ऐलान किया की, "यदि इस लड़की से मेरा विवाह नहीं हुआ। तो मैं गाँव पर हमला करके लड़की को उठा ले जाऊँगा। सलीम सिंह के इस ऐलान को सुनकर सभी गाँव वाले डर गए। अब गाँव वालों को गाँव की रक्षा करनी थी। या फिर लड़की की। लेकिन उन सभी गाँव वालों ने उस लड़की की रक्षा करने की सोची। और फिर उसी रात सभी ८४ गाँव के सभी लोग गाँव के एक मंदिर में इकक्ठा हुए, और ये फैसला किया। चाहें जो कुछ भी हो जाए। हम सलीम सिंह को अपनी लड़की नहीं देंगे। और फिर गाँव वालों ने गाँव खाली करने का निर्णय कर लिया और रातोंरात सभी 84 गांव वाले गायब हो गए। जाते-जाते उन्होंने श्राप दिया कि आज के बाद इन घरों में कोई नहीं बस पाएगा।
अगले दिन जब सलीम सिंह गाँव में गया तो उसने सभी गाँव को खाली देखा। सलीम सिंह ने गाँव का एक-एक कोना देखा। लेकिन उसके कंही भी कोई आदमी दिखाई दिया। सभी गाँव वाले गाँव छोड़कर जा चुके थे। सलीम सिंह इस बात से हैरान था की, गाँव की एक लड़की की वजह से, सभी गाँव वाले रात में ही गाँव छोड़कर चले गए। सलीम सिंह ने गाँव वालों को ढूढ़ने की कोशिश की, और साथ ही उस लड़की को जिसे सलीम सिंह प्यार करता था। लेकिन सलीम सिंह को कोई भी नहीं मिला।





गाँव में रहने वाले लोगो का श्राप


पालीवाल के गाँव में रहने वाले लोगो का श्राप आज भी इस गाँव पर है। और आज भी गाँव वालों के श्राप को देखा जा सकता है। जैसलमेर में रह रहे वहाँ के स्थानीय लोगों की मानें तो कुछ गाँव वालों ने कई बार इस जगह पर बसने की कोशिश की थी, लेकिन कोई भी सफल नहीं हो सका। जैसलमेर में रह रहे वहाँ के स्थानीय लोगों का तो यहां तक कहना है कि कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जो वहां बसने गए जरूर लेकिन आज तक वापस लौटकर नहीं आए। उन सभी लोगों के साथ क्या हुआ, वे सभी लोग कहां गए, ये आज तक कोई भी नहीं जान पाया।
आज भी इस गाँव की हालत वैसी ही है जैसी उस रात थी जब गाँव के लोग इसे छोड़ कर गए थे। कुछ लोगों का कहेना है की, जब गाँव वाले गाँव छोड़कर जा रहे थे। तब इतनी जल्दी में थे की, उसके पास इतना समय नहीं था की, वो साथ अपना सारा कीमती सामान ले जा सके। क्योंकि उन्हें सलीम सिंह की नजरों से छिपते हुए जाना था। इसलिए उन्होंने अपने सारे कीमती सामानअपने गाँव में ही कंही छिपा दिए, और गाँव से चले गए।

इस वजह से जो भी इस गाँव आता है। इस गाँव में जगह-जगह खुदाई करना शुरू कर देता है। इस वजह से आज यह गाँव जगह-जगह से खुदा हुआ मिलता है। यह पर खुदाई करने आये बहुत से लोगों ने यहाँ पर कुछ अजीबों गरीब वारदातों को सुना और साथ ही महसूस भी किया। इस बात में कितनी सच्चाई है, ये पता करने के लिए, भूत प्रेत व आत्माओं पर रिसर्च करने वाली पेरानार्मल सोसायटी की एक टीम मई २०१३ में दिल्ली से कुलधरा गाँव में गई।







पेरानार्मल सोसायटी की टीम


दिल्ली से आई भूत प्रेत व आत्माओं पर रिसर्च करने वाली पेरानार्मल सोसायटी की टीम ने कुलधरा गाँव में एक रात बिताई। दिल्ली से आई टीम ने कुलधरा गाँव पहुँचते ही टीम ने इस गाँव में कुछ न कुछ असामान्य होने का दावा किया। टीम के एक सदस्य ने बताया रात में कई बार उन्होंने कुछ अजीब महसूस किया। जैसे किसी ने उनके कंधे पर हाथ रखा, और जब मुड़कर देखा तो वहाँ कोई नहीं था। पेरानॉर्मल सोसायटी के उपाध्यक्ष अंशुल शर्मा ने बताया था कि हमारे पास एक डिवाइस था जिसका नाम गोस्ट बॉक्स था। इस गोस्ट बॉक्स के माध्यम से वो ऐसी जगहों पर रहने वाली आत्माओं से सवाल पूछते हैं। कुलधरा में भी उन्होंने ऐसा ही किया, और ऐसा करते ही कुछ जगहों से कुछ आवाजें आई तो कहीं असामान्य रूप से आत्माओं ने अपने नाम भी बताए। रात भर कुलधरा गाँव में काम के बाद जब सुबह टीम वापस जाने लिए अपनी कार के पास गई तो, उन्होंने देखा की उनकी कार के शीशे पर बच्चों के हाथ के निशान देखे। जबकि रात भर टीम के आलवा उस इलाके दूसरा नहीं था। टीम के सदस्य जब कुलधरा गाँव में घूमकर वापस लौटे तो, टीम के सदस्यों ने मीडिया को बताया।


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